बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
सगुण भक्ति धारा
निर्गुण भक्ति नीरस होने के कारण अधिक लोगों को प्रभावित नहीं कर सकी। इस भक्ति में निवृत्ति मार्ग की प्रधानता के साथ-साथ वैराग्य, ज्ञान, निराकार के प्रति प्रेम आदि की प्रधानता थी। इसमें अभिव्यंजना की शुष्कता थी और जीवन दृष्टि अपेक्षाकृत एकांगी थी। यही कारण था कि परमात्मा के सगुण रूप की उपासना का सूत्रपात हुआ। सगुण भक्ति दो की धाराओं कृष्ण काव्य और राम काव्य के माध्यम से प्रवाहित हुई। कृष्ण भक्ति में जहाँ एक ओर जीवन की सामान्य भावनाओं वात्सल्य, सख्य, रति भाव के सभी रूपों की परिणति भक्ति में दिखाई देती है; वहीं दूसरी ओर राम भक्त तुलसीदास ने वैदिक धर्म की पुनः प्रतिष्ठा से सम्बन्धित हिन्दू जीवन की आकांक्षा को मूर्त रूप प्रदान किया और जीवन की समस्त परिस्थितियों के लिए आचार एवं धर्म के मानदण्ड दिये।
तुलना
सगुण भक्तिधारा की दो प्रमुख धाराएँ हैं - राम भक्ति धारा तथा कृष्ण भक्ति धारा। इन धाराओं में पर्याप्त अन्तर व समानताएँ हैं। सगुण काव्य में राम व कृष्ण दोनों विष्णु के अवतार माने जाते हैं। दोनों के प्रति सगुण भक्ति का प्रावधान है और दोनों के प्रति आत्मसमर्पण एवं अनन्य निष्ठा प्रदर्शित की गयी है परन्तु फिर भी दोनों में सिद्धान्तगत एवं शैलीगत अन्तर है और दोनों में दृष्टिकोण सम्बन्धी मतभेद हैं। रामकाव्य तथा कृष्णकाव्य की तुलना यदि सिद्धान्त की दृष्टि से करें तो निम्नांकित तथ्य सामने आते हैं।
(क) रामकाव्य में भक्ति दास भाव की है, जिसे वैधी भक्ति के अन्तर्गत रखा जाता है। इसमें मर्यादा पर अधिक बल दिया जाता है। रामकाव्य में वर्णाश्रम धर्म, कर्मकाण्ड और वेद-मर्यादा आदि के प्रति पूर्ण विश्वास व्यक्त किया जाता है। कृष्ण काव्य में प्रतिपादित भक्ति माधुर्य भाव की है जिसे रागानुराग भक्ति की सीमा में स्थान प्राप्त है। कृष्ण भक्ति कवियों के यहाँ मर्यादा के लिए कोई महत्व नहीं है।
(ख) रामकाव्य में राम आराध्य हैं अतः बड़े हैं उनके भक्त छोटे हैं। "राम सौ बड़ौं कौन मोसो कौन छोटो। इसी लघुत्व के कारण कहा गया है। इसके विपरीत कृष्ण काव्य में कृष्ण भक्तों के सखा हैं और जहाँ आराध्य और आराधक में सखा भाव रहता है, वहाँ बड़े-छोटे का कोई भेद नहीं रहता है। सूर के सख्य भाव की भक्ति से प्रेरित होकर ही कहा है
"खेलत में को काको गुसैयाँ।'
(ग) शुद्ध भक्ति की दृष्टि से वैधी भक्ति को ईश्वर सानिध्य का यदि प्रथम सोपान माना जा सकता है, तो रागानुगा भक्ति को उसका अन्तिम सोपान।
(घ) रामकाव्य में लोक संग्रह और लोक रक्षक की भावना का प्राधान्य है, तो कृष्ण काव्य में लोक रंजन की ओर ही कवियों का सारा ध्यान केन्द्रित रहा है। लोक सेवा भाव की भक्ति होने के कारण राम काव्य में मर्यादाओं का एकमात्र भी अतिक्रमण नहीं मिलता है जबकि सखा भाव की भक्ति में मर्यादायें अतिनिकटता व सामीप्य के कारण स्वतः ही टूट जाती हैं।
(ङ) रामकाव्य में किसी प्रकार की कोई आध्यात्मिक प्रतीकात्मकता नहीं मिलती है जबकि कृष्ण काव्य में सभी पात्रों का प्रतीकात्मक व्यक्तित्व निरूपति हुआ है।
(च) राकामव्य के प्रमुख प्रवर्तक रामानुजाचार्य है और बाद में इसी मार्ग पर चलकर रामानन्द ने रामोपासना को प्रचारित किया है तथा कृष्ण काव्य के प्रमुख प्रवर्तक बल्लभाचार्य है।
दृष्टिकोण के आधार पर तुलना
रामभक्तों व कृष्ण भक्तों ने अपने अपने दार्शनिक दृष्टिकोणों के आधार पर अपने उपास्यों के प्रति भक्ति की नाना विधाओं को ग्रहण किया है।
1. कृष्णकाव्य में मधुरा रति का महत्व सर्वोपरि है, परन्तु रामकाव्य समन्वय की विचार चेष्टा को लेकर चला है। भाव, भाषा, शैली, छन्द तथा इष्टदेव सभी क्षेत्रों में समन्वय मिलता है तुलसी ने राम को महत्व दिया है और सूर ने कृष्ण को।
2. महाकवि तुलसीदास ने भगवान राम की महिमा का गुणगान अधिक किया है जबकि सूरदास जी ने कृष्ण की आराधना की है। सूर को छोड़ दिया जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि सभी कृष्ण भक्ति कवि पुष्टीमार्गी होने के कारण ही साम्प्रदायिकता के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि राम काव्य इससे परे हैं।
जनसम्पर्क व युग जीवन के आधार पर तुलना
1. इस बिन्दु पर कृष्ण काव्य अधिक समृद्ध हैं। वह स्वान्तः सुखाय होकर भी सर्वसुखाय है।
2. रामकाव्य में तत्कालीन सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक परिस्थितियों के घात-प्रतिघात का सजीव चित्रण मिलता है। जबकि कृष्णकाव्य में न तो जन-जीवन का कोई चित्रण मिलता है और न ही युगीन परिस्थितियों का आकलन ही मिलता है।
3. रामकाव्य के पात्र अतिमानवीय और अलौकिक तो हैं किन्तु वे फिर भी वे ऐसे होकर भी हमारे बीच के लगते हैं। हमारे दैनिक जीवन में काम आने वाले प्रतीत होते हैं जबकि कृष्ण काव्य में ऐसा नहीं है कृष्ण के भक्तों की दुनिया तीन लोक से न्यारी है। वे कृष्ण की रागानुभक्ति में इतने विरक्त रहे हैं कि उन्हें दीन-दुनिया की खबर ही नहीं रही है।
4. कृष्ण काव्य के कृष्ण 'नीवी बन्धन' तक खोलने का उपक्रम करते हैं; श्री फलों का स्पर्श करते हैं, किन्तु राम काव्य के राम बड़े शिष्ट और मर्यादावादी होने के कारण कुप्रभावी कवियों की ओर ध्यान तक नहीं देते हैं। असल में राम भक्त कवियों को समाज के हित अनहित का बोध है और कृष्ण भक्ति का कवि अपने में मस्त है।
भाषा की दृष्टि से तुलना
1. राम काव्य की भाषा अवधी है जोकि राम की जन्म भूमि से सम्बन्धित है, जबकि कृष्ण काव्य की भाषा ब्रजभाषा है। कृष्ण काव्य भाषा के स्तर पर केवल ब्रज की माधुरी तक ही सीमित रहा है। जबकि रामकाव्य की भाषा अवधी से लेकर ब्रज तक फैली है। तुलसी की विनय पत्रिका इसका एक प्रमाण है।
2. भाषां परिष्कृति और तत्समी वृत्ति जो राम काव्य में है, वह कृष्ण काव्य में कहीं नहीं मिलती।
रचना शैली की दृष्टि से तुलना
1. रामकाव्य प्रबन्ध शैली प्रधान है और कृष्ण काव्य की शैली मुक्तक प्रधान है।
2. शैली वैविध्य की दृष्टि से रामकाव्य समृद्धि है तो कृष्ण काव्य संकीर्ण और निर्धन है।
निष्कर्ष : वस्तुतः सम्पूर्ण कृष्ण भक्ति काव्य आनन्द एवं उल्लास का काव्य है और भावना की दृष्टि से वह काव्य अनुपम है। आचार्य हजारी प्रसाद के शब्दों में कृष्ण काव्य मनुष्य की रसिकता को उद्बुद्ध करता है। उसकी अन्तर्निहित लालसा को उर्ध्वमुखी करता है और उसे निरन्तर रसासक्ति बनाता है। सामान्य प्रवृत्तियों का तुलनात्मक विवेचन करने पर हम संक्षेप में यही कह सकते हैं कि सगुण काव्यधारा, के दोनों काव्य राम भक्ति भाव एवं कृष्ण भक्ति भाव में पर्याप्त अन्तर रखते हैं यों तो दोनों का महत्व है किन्तु व्यापकता की दृष्टि से राम काव्य श्रेष्ठ हैं भले ही उसका कृष्ण काव्य की तुलना में कम विकास एवं प्रचार हुआ है।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।